Igas Festival 2021

Igas Festival 2021 : लोक पर्व इगास जानिए उत्तराखंड में क्यों मनाते है ।

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Igas Festival 2021  : उत्तराखंड में दीपावली को बग्वाल कहा जाता हैं,बग्वाल के 11 दिन बाद एक और दीपावली मनाई जाती है जिसे पहाड़ कि लोक संस्कृति से जुड़ी इगास बग्वाल कहते है। इगास पर्व पर घरों की साफ — सफाई की जाती है और देवी — देवताओं को पूजा जाता है। तथा मीठे पकवान बनाए जाते है और लोग भैलों संस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करते हैं।

Igas Festival 2021

उत्तराखंड का समृद्ध संस्कृतिक लोक पर्व इगास :

Igas Festival 2021  : पहाड़ में बग्वाल दीपावली के ठीक 11 दिन बाद ईगास मनाने की परंपरा है, एक पौराणिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है। जब पुरूषोंत्तम भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास से अयोध्या लौटे तो अयोध्या वासियों ने अमावस्या को दीये जलाकर उनका भव्य स्वागत किया ।लेकिन, भगवान श्रीरम की लौटने की सूचना दीपावली के ग्यारह दिन बाद कार्तिक शुक्ल एकदशी को मिली थी। इसलिए ग्रामीणों ने खुशी जाहिर करते हुए एकादशी को दीपावली का उत्सव मनाया।

Igas Festival 2021

Igas Festival 2021 :

Igas Festival 2021  : एक अन्य कहानी के मुताबिक यह माना जाता है कि दिवाली के वक्त गढ़वाल के वीर माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में गढ़वाल की सेना ने दापाघाट और तिब्बत का युद्ध जीतकर विजय प्राप्त की थी। और दिवाली के ठीक 11वें दिन गढ़वाल सेना अपने घर पहुंची थी. युद्ध जीतने और सैनिकों के घर पहुंचने की खुशी में उस समय दिवाली ..बग्वाल.. मनाई गई, जिससे इस लोक पर्व को इगास रूप माना जाता हैं।

किस तरह उत्तराखंड में इगास पर्व कि परंंपरा को मनाया जाता हैं :

Igas Festival 2021  : उत्तराखंड की लोक संस्कृति से जुड़े इगास पर्व के दिन घरों की साफ-सफाई करने बाद सुबह देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. इस दिन गोवंश की पुजा कि जाती है और मवेशियों के पांव धोए जाते,दीप धूप जलाकर उनकी पूजा की जाती ​है माथे पर हल्दी का टीका और सींगों पर सरसों का तेल लगाकर उन्हें परात में सजा अन्न ग्रास दिया जाता है। इसे गोग्रास कहते है , इगास पर्व पर लोग घरों में पूड़ी, स्वाली, पकोड़ी, भूड़ा आदि पकवान बनाकर उन सभी परिवारों में बांटे जाते हैं,

Igas Festival 2021

रात को खेला जाता है भैलो खेल :

Igas Festival 2021  : भैलो को चीड़ की लकड़ी और मजबूत हरी बेल नुमा टहनियों से तैयार किया जाता है। हरी बेल नुम में चीड़ की लकड़ियों की छोटी-छोटी गांठ बांधी जाती है। जिसके बाद गांव के पास खेतों में पहुंच कर लोग भैलो को आग लगाते हैं। इसे खेलने वाले इसको सावधानीपूर्वक पकड़कर उसे अपने सिर के ऊपर से घुमाते हुए नृत्य करते हैं। इसे ही भैलो खेलना कहा जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी सभी के कष्टों को दूर करने के साथ सुख-समृद्धि देती है। भैलो खेलते हुए कुछ गीत गाने, व्यंग्य-मजाक करने की परंपरा भी है।

Igas Festival 2021

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