Mahashivratri March 2022

Mahashivratri March 2022 : महाशिवरात्रि 2022 आज, महादेव की पूजा में भूलकर भी न करें ये गलतियां

उत्तराखंड गढ़वाल/कुमाऊं देहरादून धर्म/संस्कृति पर्यटन राजकाज विशेष
News Uttarakhand

Mahashivratri March 2022 : महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है। शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव की पूजा में कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए ,महाशिवरात्रि का दिन भगवान शंकर को समर्पित है। महाशिवरात्रि का त्योहार देशभर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस महाशिवरात्रि का त्योहार 1 मार्च 2022 (मंगलवार) को है। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। फाल्गुन माह की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहते हैं। । जानें शिवपुराण में वर्णित महादेव की पूजा के कुछ नियम-

Mahashivratri March 2022 :

Mahashivratri March 2022

1. सिंदूर ना करें अर्पित-

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा में कुमकुम या सिंदूर नहीं प्रयोग करना चाहिए। भगवान शिव को वैरागी माना जाता है, जबकि कुमकुम सौभाग्य का प्रतीक होता है। इसलिए कुमकुम या सिंदूर को शिवलिंग पर नहीं अर्पित करना चाहिए।

2. शिवलिंग पर टूटा हुआ चावल ना करें अर्पित-

भगवान शिव की पूजा में अक्षत (साबुत चावल) का प्रयोग करना शुभ माना जाता है। कहते हैं कि टूटा हुआ चावल अशुद्ध होता है। इसलिए शिव जी की पूजा में टूटे हुए चावल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

Mahashivratri March 2022 : 

Mahashivratri March 2022

3. शिवलिंग पर न चढ़ाएं तुलसी-

हिंदू धर्म में तुलसी का विशेष महत्व होता है। तुलसी को सभी शुभ कार्यों में प्रयोग किया जाता है। लेकिन भगवान शिव को तुलसी अर्पित करना वर्जित होता है। मान्यता है कि भगवान शिव को तुलसी अर्पित करने से पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है। इसलिए महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा में तुलसी का प्रयोग न करें।

4. नारियल पानी से अभिषेक ना करें-

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का अभिषेक नारियल पानी से नहीं करना चाहिए। नारियल को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। जिनका संबंध भगवान विष्णु से है।

Mahashivratri March 2022 : 

Mahashivratri March 2022

5. शिव पूजा में शंख वर्जित-

कहा जाता है कि भगवान शिव की पूजा में शंख का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के एक असुर का वध किया था, जो भगवान विष्णु का प्रिय था। शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है। इसलिए शिव पूजा में शंख का प्रयोग वर्जित माना जाता है।

ये भी पढ़ें : राजधानी देहरादून में पेड़ से टकराई स्कूल बस, बच्ची की मौत

Leave a Reply

Your email address will not be published.