Tihri Dam Asia’s No 1 Highest Dam : उत्तराखंड में एशिया का सबसे ऊँचा टिहरी बाँध भारत का सबसे बड़ा तथा विशालकाय बाँध है। यह भागीरथी नदी पर 260.5 मीटर की उँचाई पर बना है तथा लम्बाई 575 मीटर है। टिहरी बांध दुनिया का आठवाँ सबसे बड़ा बाँध है, जिसका उपयोग सिंचाई तथा बिजली पैदा करने हेतु किया जाता है। टिहरी बांध दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण जलविद्युत परियोजना है। जो भागीरथी और भिलंगना नदियों से पानी प्राप्त करता है जो हिमालय से निकलती हैं। टिहरी बांध 2400 मेगावाट बिजली पैदा करता है। इसकी स्वीकृति 1972 में योजना आयोग ने दी थी।
टिहरी डैम के निर्माण के लिए किया गया कड़ा विरोध :
Tihri Dam Asia’s No 1 Highest Dam : इस परियोजना का सुंदरलाल बहुगुणा तथा अनेक पर्यावरणविदों ने कई आधारों पर विरोध किया है। सुंदरलाल बहुगुणा ने टिहरी बांध के निर्माण के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन किए और 1995 में भूख हड़ताल की। इनके अलावा भी अनेको बार स्थानीय लोगो द्वरा हड़ताल और विरोध प्रदर्शन किये गये, जिसमें सरकार द्वारा भी बल प्रदर्शन और विरोधियों पर कार्यवाही की गयी थी।
Tihri Dam Asia’s No 1 Highest Dam : इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हैरिटेज द्वारा टिहरी बांध के मूल्याकंन की रिपोर्ट के अनुसार यह बांध टिहरी कस्बे और उसके आसपास के 23 गॉवों को पूर्ण रूप से तथा 72 अन्य गांव को आंशिक रूप से जल से ,न भर दे, जिससे 85,600 लोग विस्थापित हो जाएंगे। इस परियोजना से 5200 हेक्टेयर भूमि, जिसमें से 1600 हैक्टेयर कृषि भूमि होगी जो जलाशय की भेंट चढ़ जाएगा । कई वैज्ञानिकों ने विनाश के कारण इसके निर्माण पर आपत्ति जताई।
Tihri Dam Asia’s No 1 Highest Dam :
उनके अनुसार टिहरी बांध का निर्माण 10,000 लोगों को बेघर कर सकता था। इसके अलावा, आपत्ति का एक अन्य कारण हिमालयी सीस्मिक गैप से इसकी निकटता थी क्योंकि यदि किसी कारण भूकंप आया तो इससे 5,00,000 से अधिक लोगों का जीवन खतरे में पड़ सकता था।
टिहरी डैम टूटने से होनेे वाला खतरा :
Tihri Dam Asia’s No 1 Highest Dam : पर्यावरणविद मानते है की बाँध के टूटने के कारण ऋषिकेश, हरिद्वार, बिजनौर, मेरठ और बुलंन्दशहर इन क्षत्रे में पानी भर जाएँगा। आठ मीटर से लेकर दस मीटर तक पानी ही पानी होगा। इस बांध के टूटने पर समूचा आर्यावर्त, उसकी सभ्यता नष्ट हो जाएगी। पश्चिम बंगाल तक इसका व्यापक दुष्प्रभाव होगा। तथा भूकंप से नुकसान को रोकने के लिए टिहरी बांध को रॉकफिल बनाया गया।
टिहरी डैम इतिहास तथा निर्माण :
Tihri Dam Asia’s No 1 Highest Dam : टिहरी बांध परियोजना हेतु प्राथमिक जांच का काम 1961 में परियोजना के लिए प्रारंभिक जांच पूरी हो गई । इसके 1972 में इसके डिजाइन को पूरा किया गया। इसके रूपरेखा तय करने का कार्य 1992 में हुआ। इसके लिए 600मेगा वाट का बिजली संयंत्र लगाया गया। इसके निर्माण का कार्य 1978 में शुरू हो गया, लेकिन आर्थिक, पर्यावरणीय आदि प्रभाव के कारण इसमें देरी हुई। इसके निर्माण का कार्य 2006 में पूरा हो गया। जबकि 2012 में, इस परियोजना का दूसरा हिस्सा, कोटेश्वर बांध के साथ मिला।
टिहरी डैम की बिजली परियोजना से लाभ मे आने वाले राज्य :
Tihri Dam Asia’s No 1 Highest Dam : इस बाँध से 2400 मेगावाट विद्युत उत्पादन, 270,000 हेक्टर क्षेत्र की सिंचाई और प्रतिदिन 102.20 करोड़ लीटर पेयजल दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड को उपलब्ध कराना है। जबकि उत्पादित बिजली उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, चंडीगढ़, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश को आपूर्ति की जाती है। उत्तराखंड को 12% बिजली फ्री मिलती है |
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