Victory Day Of India

Victory Day Of India : 16 दिसंबर 1971 को क्यों विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

उत्तराखंड गढ़वाल/कुमाऊं राजकाज विशेष
News Uttarakhand

Victory Day Of India : 16 दिसम्बर को 1971 के युद्ध में भारत की पाकिस्तान पर जीत के कारण मनाया जाता है। साल 1971 के युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी फौज को बुरी तरह हराया था। इस युद्ध के अंत के बाद 93 हजार पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया था। यह युद्ध भारत के लिए ऐतिहासिक जीत और हर देशवासी के हृदय को उमंग से भर देता है। हर साल इस दिन को हम विजय दिवस के रूप में मनाते हैं।

Victory Day Of India

युद्ध की पृष्‍ठभूमि साल 1971 की शुरुआत से ही बनने लगी थी :

Victory Day Of India : युद्ध की पृष्‍ठभूमि साल 1971 की शुरुआत से ही बनने लगी थी। पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह याहिया ख़ां ने 25 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान की जन भावनाओं को सैनिक ताकत से कुचलने का आदेश दे दिया। इसके बाद शेख़ मुजीब को गिरफ़्तार कर लिया गया। तब वहां से कई शरणार्थी लगातार भारत आने लगे। जब भारत में पाकिस्तानी सेना के दुर्व्यवहार की खबरें आईं, तब भारत पर यह दबाव पड़ने लगा कि वह वहाँ पर सेना के जरिए हस्तक्षेप करे।

Victory Day Of India :

Victory Day Of India

भारतीय सेना ने पाकिस्तानी गवर्नमेंट हाउस किया आक्रमण :

Victory Day Of India : 14 दिसंबर को भारतीय सेना ने एक गुप्त संदेश को पकड़ा कि दोपहर ग्यारह बजे ढाका के गवर्नमेंट हाउस में एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है, जिसमें पाकिस्तानी प्रशासन बड़े अधिकारी भाग लेने वाले हैं। भारतीय सेना ने तय किया कि इसी समय उस भवन पर बम गिराए जाएं। बैठक के दौरान ही मिग 21 विमानों ने भवन पर बम गिरा कर मुख्य हॉल की छत उड़ा दी। गवर्नर मलिक ने लगभग कांपते हाथों से अपना इस्तीफ़ा लिखा।

Victory Day Of India

16 दिसंबर 1971 देश के जवानों की वीरता, शौर्य, साहस और कुर्बानी की कहानी को बयां करती है :

Victory Day Of India : विजय दिवस वीरता और शौर्य की मिसाल है। 1971 के युद्ध में भारतीय सैनिकों ने बड़े पैमाने पर कुर्बानियां दीं। करीब 3900 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए थे। जबकि 9851 घायल हो गए थे। 16 दिसंबर का दिन देश के जवानों की वीरता, शौर्य, अदम्य साहस और कुर्बानी की कहानी को बयां करती है। इस युद्ध के अंत के बाद 93 हजार पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया था। आधुनिक व मध्यकालिन दुनिया में इतना बड़ा आत्मसमर्पण अबतक कभी भी देखने या पढ़ने को नहीं मिला है। पाकिस्तान को मिली करारी हार के बाद उस समय के पूर्वी पाकिस्तान जिसे वर्तमान में बांग्लादेश कहते हैं, को पाकिस्तान की चंगुल से आजाद करा दिया गया ।

Victory Day Of India

क्या हुआ था 16 दिसंबर 1971 :

Victory Day Of India : 16 दिसंबर की सुबह जनरल जैकब को मानेकशॉ का संदेश मिला कि आत्मसमर्पण की तैयारी के लिए तुरंत ढाका पहुंचें। जैकब की हालत बिगड़ रही थी। नियाज़ी के पास ढाका में 26,400 सैनिक थे, जबकि भारत के पास सिर्फ़ 3,000 सैनिक और वे भी ढाका से 30 किलोमीटर दूर थे भारतीय सेना ने युद्ध पर पूरी तरह से अपनी पकड़ बना ली। अरोड़ा अपने दलबल समेत एक दो घंटे में ढाका लैंड करने वाले थे और युद्ध विराम भी जल्द समाप्त होने वाला था। जैकब के हाथ में कुछ भी नहीं था। जैकब जब नियाज़ी के कमरे में घुसे तो वहां सन्नाटा छाया हुआ था।

Victory Day Of India

Victory Day Of India : आत्म-समर्पण का दस्तावेज़ मेज़ पर रखा हुआ था। शाम के साढ़े चार बजे जनरल अरोड़ा हेलिकॉप्टर से ढाका हवाई अड्डे पर उतरे। अरोडा़ और नियाज़ी एक मेज़ के सामने बैठे और दोनों ने आत्म-समर्पण के दस्तवेज़ पर हस्ताक्षर किए। नियाज़ी ने अपने बिल्ले उतारे और अपना रिवॉल्वर जनरल अरोड़ा के हवाले कर दिया। नियाज़ी की आंखों में एक बार फिर आंसू आ गए।

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