Harda’s Daughter VS Khandudi Daughter : चुनाव में हर बार कोई ना कोई पार्टी जरूर हार का सामना करती है लेकिन ये हार कई लोगों के लिए नासूर बन जाती है 2012 और 2107 के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूडी और हरीश रावत के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ लेकिन अब उनकी हार का बदला लेने के लिए उनकी बेटियां चुनावी मैदान में उतरी है।
चुनावी प्रचार में जुटी दोनों प्रत्याशी :
Harda’s Daughter VS Khandudi Daughter : उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने के साथ ही सभी प्रत्याशी जीत की मंशा से मैदान में उतर गए हैं लेकिन 2 प्रत्याशी ऐसे भी हैं जिनको पिता की हार का बदला लेने वाले प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में देखा जा रहा है। जी हां इस बार के चुनाव में हरिद्वार ग्रामीण सीट से पूर्व सीएम हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत और कोटद्वार सीट से पूर्व सीएम भुवन चंद खंडूडी की बेटी रितु खंडूरी चुनावी मैदान में उतरी हैं
ऐसे में दोनों ही बेटियों को पिता के राजनीतिक वैतरनी को आगे बढ़ाने वाले खिवैया के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन सवाल यही खड़ा हो रहा है की क्या ऋतु और अनुपमा पिता की हार का बदला ले पाएंगी।
2012 में खंडूडी की हुई थी करारी हार :
Harda’s Daughter VS Khandudi Daughter : 2012 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री खंडूरी ने कोटद्वार सीट से चुनाव लड़ा था जिसमें खंडूरी है जरूरी के नारे के साथ हुई इस चुनावी लड़ाई में स्वयं खंडूरी कोटद्वार सीट से चुनाव हार गए थे खंडूरी की हार सत्तारूढ़ भाजपा के लिए दोहरा झटका साबित हुई। पार्टी हार के साथ ही सीटों के अंक गणित में कांग्रेस से 1 सीट पीछे खिसक कर सत्ता की दौड़ से बाहर हो गई थी। जिससे भाजपा के मनोबल पर काफी असर पड़ा था तो वहीं खंडूडी भी अपनी हार से काफी नाखुश हुए थे।
मोदी लहर में बह गई थी कांग्रेस की जीत :
Harda’s Daughter VS Khandudi Daughter : वहीं दूसरी तरफ 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हरिद्वार ग्रामीण सीट से चुनाव लड़ा था और उन्हीं के नेतृत्व के साथ 2017 में कांग्रेस चुनावी मैदान में उतरी थी लेकिन मोदी लहर ने कांग्रेस के परखच्चे उड़ा दिए थे। आलम ये था की हरीश रावत हरिद्वार ग्रामीण के साथ ही किच्छा सीट पर भी नहीं जीत सके और उस चुनाव में कांग्रेस केवल 11 सदस्यों तक ही सिमटकर रह गई।
Harda’s Daughter VS Khandudi Daughter :
जीत की चकनाचूर आस ने कांग्रेस के मनोबल पर भी कड़ा आघात पहुंचाने का काम किया। ऐसे में भुवन चंद खंडूडी और हरीश रावत की कड़ी हार के बाद अब उनकी बेटियां पिता की हार का बदला लेने के लिए मैदान में उतरी हैं तैयारियां भी पूरी हैं और जज़्बा भी बुलंद है लेकिन जीतने के लिए ये काफी है या नहीं ये तो चुनावी परिणाम के बाद ही पता लग पाएगा।
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