Haunted Places In Uttarakhand : उत्तराखण्ड उत्तर भारत में स्थित एक ऐसा राज्य जो अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के लिए देश—विदेश में मशहूर है। लेकिन इस प्रदेश में कई खौफनाक जगह भी है जहां जाने से भी लोगों की रूंह कांप उठती है। दरअसल उत्तराखण्ड में सुंदर स्थलों के साथ—साथ कई बंजर व खौफनाक जगहें भी हैं जिनका भूतहा होने का दावा किया जाता है। इनके भूतहा होने की वजह से ये युवाओं और परलौकिक गतिविधि प्रमियों के लिए दर्शन स्थल बने हुए हैं।
Haunted Places In Uttarakhand : भूतों का निवास
उत्तराखण्ड को देवों की भूमि कहा जाता है क्योंकि यहां हिंदुओं के प्रमुख चार धाम व कई शक्तिपीठ भी स्थापित है। यहाँ समस्थ देवी—देवताओं का निवास है। यहा पाँच प्रयाग – विष्णुप्रयाग, सोनप्रयाग, कर्णप्रयाग रुद्रप्रयाग, एवं देवप्रयाग स्थित है जहाँ दो नदियों का संगम होता है। आश्चर्य की बात है कि देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखण्ड में देवों के साथ—साथ भूतों का भी निवास है।
दरअसल यहाँ के कई स्थलों के साथ ये मान्यताएं जुड़ी हुई हैं कि किसी हादसे के चलते जिन लोगों की मृत्यु यहाँ हुई हैं उन्हीं की आत्माएँ मृत्यु के पश्चात मुक्ति न मिल पाने के कारण यहाँ बस चुकी हैं। तो कई स्थलों के संदर्भ में यह भी बताया जाता है कि वहाँ अचानक असाधारण घटनाएँ घटने के कारण लोग वहाँ से पलायन कर गए जिसके बाद से वह अब तक विरान है।
स्वाला गाँव
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 265 किलोमीटर दूर चंपावत जिले के स्वाला गाँव जो टनकपुर से चंपावत की ओर जाते हुए मध्य में आता है। 70 साल पहले ये बहुत चहल—पहल वाला गाँव था लेकिन लोग अब इसे भूतहा गाँव के नाम से जानते हैं। दरअसल एक हादसे के बाद से यहाँ की काया पलट होे गई।
गाँव से पलायन कर चुके लोगों का कहना है कि सन 1952 में 10 से 12 पीएसी जवानों से भरी एक मिनी बस गाँव के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। जवानों ने ग्रामीणों से मदद की पुकार लगाई जिसे सुनके ग्रामीण आए लेकिन जवानों की मदद करने के बजाय उनका सामान लूटकर चले गए। जवान मदद के लिए चिल्लाते रहे लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की जिसका नतीजा यह हुआ कि समय पर इलाज न मिल पाने के कारण जवानों ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। उस वक्त गाँव में 20 से 25 परिवार रहते थे। कहा जाता है कि उसके बाद गाँव में अजीबोगरीब घटनाएं हुई जिसके बाद ग्रामीण आतंकित हो गए और गाँव से पलायन कर गए।
Haunted Places In Uttarakhand : मसूरी की लांबी देहरा खदान
उत्तराखण्ड के सबसे सुंदर और लोकप्रिय पहाड़ी इलाके मसूरी के इतिहास के काले पन्नों से जुड़ा देहर खदान जहाँ आज भी मृत लोगों की चीखें सुनाई देती हैं। यूँ तो ये चूना पत्थर की खुदाई का स्थल था पर 90 के दशक में एक बड़े हादसे का शिकार होने के बाद से यह खदान अब एक प्रेतवाधित जगह में तब्दील हो चुकी है। सन 1990 में इस खदान में लगभग 50000 मजदूर गलत प्रक्रिया से चल रही माइनिंग के कारण एक दर्दनाक हादसे का शिकार बन गए थे। खदान चूने की होने के वजह से कईयों को फेफड़ों से संबंधित तकलीफों की शिकायत रहती थी।
Haunted Places In Uttarakhand : यह खदान और इससे संबंधित भूतिया किस्सा कितना मशहूर है इसका पता इस बात से ही चलता है कि मशहूर पैरानौरमल एक्सपर्ट और भारत की इंडियन पैरानॉर्मल सोसाइटी (Indian Paranormal Society) के प्रमुख गौरव तिवारी भी अपनी टीम और भारतीय मीडिया के साथ यहाँ जाँच—पड़ताल के लिए आए थे और उन्होंने खदान में नेगिटिव एनर्जीस के होने की बात कही।
लोहाघाट—मुक्ति कोठरी
अभी तक हमने आपको सिर्फ भूतिया ‘जगहों’ के बारे में बताया पर अब बारी है एक ‘बंगले’ की। चंपावत जिले के लोहाघाट में ‘मुक्ति कोठरी’ नाम से मशहूर एक हॉन्टेड बंगला है जिसके आस पास के इलाके को भारत के सबसे हॉरर जगहों में शुमार किया जाता है। स्थानीय लोगों की माने तो बंगले में से हमेशा ही चीखने चिल्लाने और रोने की आवाजें आती हैं।
बंगला एक ब्रिटिश फैमिली का था जिन्होंने इसे बाद में एक अस्पताल में तब्दील कर दिया था। बताया जाता है कि यहाँ एक नए डॉक्टर आए जो मरीजों को मात्र देखने से ही उनकी मृत्यु का दिन और तारीख बता देते थे। उनकी इन भविष्यवाणीयों के बाद से यहाँ सबकुछ बदल गया।
Haunted Places In Uttarakhand : मरीजों की मृत्यु भविष्यवाणी के अनुसार ही होती थी किन्तु स्थानीय लोगों ने एक बात पर गौर किया कि वो एक गुप्त कमरे ‘मृत्यु कोठरी’ में मरते थे। किसी को नही पता चलता था कि मृत्यु के दौरान कमरे में क्या होता था। इससे लोगों को शक हुआ कि डॉक्टर अपनी भविष्यवाणी सच करने के लिए खुद ही लोगों को मृत्यु कोठरी में मार देता था। अब सच क्या है ये तो कोई नहीं बता सकता पर अगर स्थानीय लोगों की माने तो अक्सर बंगले से अजीब आवाजें आती रहती हैं और कई रहस्यमयी घटनाएँ घट चुकी हैं जिसके कारण लोग इसके आसपास भटकने से भी ड़रते हैं।
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