Lakshman Sidh

Lakshman Sidh : देहरादून का ऐसा सिद्ध पीठ जहां ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए आए थे भगवान लक्ष्मण, जानें पूरी कथा

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Lakshman Sidh : हिमालय की गोद में स्थित उत्तराखंड राज्य अपनी पवित्रता और प्राकृतिक सुंदरता के क्षेत्र में भारत के सभी राज्यों में से सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहाँ का सौंदर्य पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र तो है ही साथ ही साथ यहाँ के पर्यटन स्थलों और मंदिरों के पीछे का रहस्य भी लोगों को अपनी और खींचता है। ऐसी ही एक जगह उत्तराखंड की राजधानी deheradun में स्थित है जिसे हम लक्ष्मण सिद्ध के नाम से जानते हैं। भगवान राम के भाई लक्ष्मण को समर्पित इस मंदिर के पीछे क्या कुछ कहानी और प्रचलित कथाए हैं इसी को आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

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Lakshman Sidh : दत्तात्रेय ऋषि के 84 सिधपीठों में से एक है लक्ष्मण सिद्ध

देवों की भूमि के नाम से जाने जाने वाले उत्तराखंड में चार धामों के साथ ही कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं जो अपने आप में ही इतिहास को संजोए हुए है और इन्हीं धार्मिक स्थलों में से चार सिद्धपीठ उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में स्तिथ हैं, जो की हैं – लक्ष्मण सीद्ध, कालू सिद्ध, मानक सिद्ध और मांडू सिद्ध। इन्ही सिद्धों में से एक लक्ष्मण सिद्ध है।लक्ष्मण सिद्ध के बारे में ​कहा जाता है कि यह स्थान दत्तात्रेय ऋषि के 84 सिधपीठों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय ने लोककल्याण के लिए अपने 84 शिष्य बनाये थे और उन्हें अपनी सभी शक्तियां प्रदान की थी,

जो बाद में 84 सिद्ध के नाम से जाने गए और इनके समाधि स्थल सिद्धपीठ बन गए। यही नहीं उन्होंने ये भी बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार दशरथ पुत्र राम के अनुज लक्ष्मण ने रावण और मेघनाथ की ब्रह्म हत्या के पाप से बचने के लिए इस स्थान में तपस्या की थी। और तब से ही यह स्थान लक्ष्मण को समर्पित हो गया जहां लोग उनके दर्शन के लिए उमड़ते हैं ऐसा माना जाता है की यहां आने मात्र से ही मनुष्य की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।

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Lakshman Sidh : भारी संख्या में आकर भक्तजन करते हैं दर्शन

अमूमन तौर पर बाबा लक्ष्मण के दर्शन करने के लिए भक्तजन रविवार को पहुंचते हैं और उनके लिए यहां विशाल भंडारा का आयोजन भी किया जाता है यही नहीं बाबा के दर्शन करने के बाद भक्तजन उस दिव्य कुंए के दर्शन भी करते हैं जहां से कभी दूध निकला करता था। जी हां कहा जाता है कि इस कुंए में पानी का रंग बिल्कुल दूध के समान था

लेकिन समय के साथ—साथ इस पानी का रंग बदल गया और दोबारा पानी ही दिखाई पड़ता है लेकिन अभी भी माना जाता है कि इस कुंए से निकलने वाला पानी स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होता है और कुंए के आसपास मिलने वाली जड़ी बूटी भी मनुष्य को कई प्रकार की बिमारियों से बचाने में कारगर साबित होती है।

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