Road Safety Week : भारत में राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय प्रत्येक साल जनवरी के महीने में सड़क सुरक्षा सप्ताह का आयोजन करती है ताकि लोगों को सड़क सुरक्षा संबंधित चीजों के बारे में जागरूक किया जा सके। ऐसे में उत्तराखण्ड में भी सड़क सुरक्षा सप्ताह का आयोजन किया गया। जिसमें प्रदेश के लोग ट्रैफिक रूल्स तोड़ने में अव्वल नजर आए। राज्य में इस बार रूल्स तोड़ने के मामले में लगभग 700 फीसदी वृद्धि हुई है।
Road Safety Week : आंकड़ों ने किया हैरान
उत्तराखण्ड में इस वर्ष 32वां सड़क समारोह मनाया गया। इस विशेष कार्यक्रम में पुलिस द्वारा लोगों को सड़क सुरक्षा से संबंधित विशेष नियम—कानून के बारे में व्यापक जानकारी दी जाती है ताकि सड़क हादसों को कम किया जा सके। लेकिन प्रदेश के हाल ये है कि पिछले 21 सालों में नियम तोड़ने वालों की संख्या में तकरीबन 700 गुना बढ़ोतरी हुई है। बता दें कि परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में साल 2000-01 में ट्रैफिक नियमों को तोड़ने वालों की संख्या 12536 थी परन्तु अब साल 2021-22 में ट्रैफिक रूल्स तोड़ने वालों की संख्या बढ़कर 92092 पहुंच गई। इसके कारण वाहनों के चालान और सीज करने के मामलों में भी कई गुना बढ़ोतरी हुई है।
परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष सीज वाहनों की संख्या और कंपाउंडिंग की राशि में करीब 17 गुना वृद्धि हुई है। जहां वर्ष 2001-02 में 125 लाख रुपये कंपाउंडिंग से वसूले गए तो वहीं 2021-22 में विभाग ने 2161 लाख की वसूली की। सबसे ज्यादा वसूली 2019-20 में की गई, जो कि 2674 लाख थी। साथ ही सीज किए गए वाहनों की संख्या साल 2000-01 में 2641 थी जो कि 2021-22 में बढ़कर 4416 तक हो गई।
लापरवाह होते लोग
हैरानी की बात ये है कि प्रदेश में ये हाल तब है जब पूरे राज्य में सड़क सुरक्षा को लेकर पुलिस लगातार अभियान चला रही है। इतना ही नहीं पुलिस चालान काटने से लेकर गाड़ियां तक सीज कर रही है लेकिन लोग सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि इतनी वसूली,नियमों में संशोंधन करने और अभियान चलाने के बाद भी प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं और उनसे होने वाली मौतों के आंकड़ों में कोई कमी क्यों नहीं आई है। उल्टा लोग और जोश के साथ ट्रैफिक नियमों को तोड़ते हुए नज़र आ रहे हैं।
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