Traditional Food Of Uttarakhand : कुछ तो बात हैं उत्तराखंड में यहां की खूबसूरती का हर कोई दीवाना है। यही वजह है कि हर साल लाखों की संख्या में लोग देवभूमि आकर प्राकृति का लुफ्त उठाते है। इतना ही नहीं देवभूमि जितना अपनी सुरंदरता के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है उतने ही यहां का पांरपरिक खाना पयर्टकों को उंगली चाटने पर मजबूर कर देता है। आज हम आपको बताएंगे उत्तराखंड के कुछ पारंपरिक भोजन के बारे में जिसका स्वाद लिए बिना आप यहां से नहीं जा पाएंगे।
लिंगुड़े की भुजी :
Traditional Food Of Uttarakhand : लिंगुड़े की भुजी उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश दोनों ही जगह बहुत प्रसिद्ध है, लगभग सभी पहाड़ी लोगों की पसंदीदा सब्जियों में से एक है लिंगुड़े की भुजी। जिसके सामने अच्छी से अच्छी सब्जी भी स्वाद में कम है और साथ ही साथ यह कई औषधी गुणों से भरपूर हैं। ये मात्र सब्जी ही नहीं बल्कि आयूर्वेदिक दवाई बनाने के काम भी आती है। यह पहाडों में जून और जुलाई मानसून के दौरान पानी की धाराओं के पास आसानी से उपलब्ध रहते है।
कंडाली का साग :
Traditional Food Of Uttarakhand : बिच्छू घास जिसे गढ़वाली में कंडाली और कुमाऊँनी में सिंसूण भी बोलते हैं यदि अगर किसी के शरीर में यह लग गया तो खतरनाक दर्द और सूजन होने लगती है इस पर कांटे होते हैं क्योंकि इसमें फाँर्मिक एसिड पाया जाता है। कंडाली का साग पहाड़ों में बहुत ही लोकप्रिय है आम साग-सब्जियों की भांति इसकी सब्जी और साग अति प्रसिद्ध है। इसमें प्रचुर मात्रा में आयरन तत्व की मात्रा के साथ-साथ मैग्निज विटामिन ए व कैल्शियम भी पाया जाता है रक्तचाप जैसी बिमारियों के लिए यह औषधि का काम भी करता है। इसकी सब्जी और साग आम तरीके से नहीं बनाए जाते कंडाली को बहुत सावधानी के साथ लाया और बनाया जाता है।
Traditional Food Of Uttarakhand :
ठच्वनी :
ठच्वनी बनाने के लिए मूली और आलू का उपयोग करके इसे पत्थर के सिलबट्ट में थीच कर तैयार किया जाता है और फिर आलू टमाटर का झोल बनाया जाता है।
चैसोणी :
Traditional Food Of Uttarakhand : जिसको चैनसो भी कहा जाता है गढ़वाल का पौष्टिक आहार दाल है और इसे उड़द, काले भट्ट का उपयोग करके तैयार किया जाता है। इसमें उड़द और भट्ट की दाल को पीसकर गाढ़ा पकाया जाता है, इसके स्वाद को बढ़ाने के लिए बारीक टमाटर, प्याज, अदरक का पेस्ट बनाकर खूब पकाया जाता है। यह दिन के खाने के तौर पर खूब पसंद किया जाता है। आमतौर पर इस दाल में प्रोटीन की मात्रा अधिक होने के कारण इसे पचाना मुश्किल होता है। हालांकि यह कहा जाता है कि इसे भूनने से इसका बुरा प्रभाव समाप्त हो जाता है।
गहत दाल की रोटी वे पराठे :
उत्तराखंड में गहत दाल के पराठे भी खूब पसंद किए जाते हैं। गहत दाल को गेंहू या फिर रागी मड़ुवे के आटे में भरकर पकाया जाता है। गहत या कुलैथ को हमारे शरीर में किडनी पर सकारात्मक प्रभाव के लिए भी जाना जाता है। लोग गहत की दाल को भूनकर भी खाना पसंद करते हैं
झंगुरे की खीर :
Traditional Food Of Uttarakhand : झंगुरे की खीर चावल की खीर जैसी ही होती है अंतर सिर्फ इतना है कि झंगुरे महीन और बारीक दाने के रुप में होता है और आसानी से खाया जा सकता है। पहाड़ो में झंगुरे को चावल के जैसा पकाकर दाल-सब्जी के साथ भी खाया जाता है।
मड़ुवे की रोटी :
Traditional Food Of Uttarakhand : उत्तराखंड में खाने के बहुत प्रकार के व्यंजन प्रसिद्ध हैं लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में मंडुवे की रोटी और कंडाली का साग बहुत ही प्रसिद्ध हैं गढ़वाल और कुमाऊँ क्षेत्रों में लोग इन व्यंजनों को पसंद करते हैं। मड़वे की रोटी उत्तराखंड के स्थानीय अनाज से बनी स्वादिष्ट और पौष्टिक रोटी होती है। मंडवे की रोटी गढ़वाल में सबसे अधिक खाए जाने वाली प्रमुख भोजन में से एक है।
Traditional Food Of Uttarakhand : उत्तराखंड में गढ़वाल के लोग अक्सर चूहले में मंडवे की मोटी-मोटी रोटी बनाते है और तिल या भांग की चटनी के साथ बड़े चाव से खाते है और साथ में अगर देसी घी हो तो फिर बात ही कुछ और है। उत्तराखंड में यह पुराने समय से प्रचुर मात्रा में उगने वाला मड़ुआ पोषक तत्वों से भरपूर है इसकी रोटी ठंड के दिनों में हर पहाड़ी घरों में खाई जाती है।
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