Uttarakhandi In Ukraine : रूस के हमले ने यूक्रेन को पूरी तरीके से तबाह कर दिया है। जहां कई जानें इस युद्ध में चली गई हैं तो वहीं भारत के भी कई छात्र युक्रेन में जिन्दगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं जिनमें उत्तराखंड के भी 188 छात्र शामिल हैं ना संपर्क साधने का साधन है और ना खाने का साधन ये रिपोर्ट देखकर आपकी भी रूह कांप उठेगी।
188 उत्तराखंडी अब भी लगा रहे मदद की गुहार :
Uttarakhandi In Ukraine : रूस के द्वारा यूक्रेन पर हमले से पूरी दुनिया दहली हुई हैं। लगातार बम—धमाके और गोलीबारी से जहां तबाही का संकट गहराता जा रहा है तो वहीं इस तबाही के डर ने स्थानीय लोगों के साथ ही यूक्रेन में पढ़ाई के लिए मेहमान बनकर गए छात्रों को भी पूरी तरीके से खौफजदा किया हुआ है। ऐसा ही हाल कई भारतीय छात्रों के साथ ही उत्तराखंड के छात्रों का भी हुआ है।
Uttarakhandi In Ukraine : उत्तराखंड के 188 छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं। यूक्रेन के खारकीव में फंसे उत्तराखंड के पुरोला के विनायक थपलियाल, देहरादून की अनुष्का पंत, कौशी भट्ट, नैनीताल की सौम्या गौड़ और अस्मिता थपलियाल ने परिजनों को फोन पर दी जानकारी में बताया कि वह तीन दिन से होस्टल के बेसमेंट में कैद हैं. बड़ी मुश्किल से आज कुछ खाने का सामान खरीद पाए हैं |
Uttarakhandi In Ukraine :
और खाने की कमी के कारण छात्रों ने एक टाइम ही खाने का फैसला लिया है। वहीं यूक्रेन में फंसी देहरादून की प्रिया ने अपने भाई को फोन पर बताया कि वे दो दिनों से बंकर में ही है जहां दो दिनों से लाइट का कुछ भी अता पता नहीं है और शहरों में रूस की सेना जमकर बमबारी कर रही है यहां तक की खाने पीने की भी भारी कमी है।
Uttarakhandi In Ukraine : ऐसे ही हरिद्वार जिले की रहने वाली नंदनी भी युद्ध के चलते बंकर में रहने को मजबूर है नंदनी ने परिजनों को बताया कि यहां हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं हमारे पास ना खाने को प्रर्याप्त खाना है और नाहीं हम सो पा रहे हैं। नदनी के अलावा हरिद्वार के दो और छात्र जबकि लक्सर के भी 3 छात्र यूक्रेन में जिन्दगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं।
मौत के आतंक के बीच जगह—जगह ले रहे शरण :
Uttarakhandi In Ukraine : चारो तरफ फैले मौत के मंजर ने ऐसा खौफ फैलाया हुआ है कि सभी जान बचाने के लिए अलग—अलग जगह शरण लेने को मजबूर हैं। आलम ये है कि घर में भूख तो बाहर गोलियों का डर पसरा हुआ है और इस डर से उत्तराखंड से यूक्रेन में रोजगार के लिए गए युवा भी सहमे हुए है। जहां गैरसैंण की कनुप्रिया और योगिता एमबीबीएस की पढ़ाई के लिये यूक्रेन गई थी तो वहीं चमोली के मठ-झड़ेता गांव के मोहन सिंह और बौंला छिनका के दिनेश सिंह रोजगार के लिए यूक्रेन गए थे
लेकिन रूस के हमले के कारण ये लोग भी यूक्रेन में फंसे हुए है। आलम ये है की जान बचाने के लिए इन लोगों को भी बंकर में शरण लेनी पड़ रही है जहां ना तो खाना है और नाही लाइट।
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