Celebration Of Bagwal Festival : मसूरी में प्राचीन बग्वाल का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया। इस दौरान अग्नि की पूजा की गयी और इस पर्व में बनने वाले पकवान पकोड़ी व चूड़ा से आहुति दी। जिसके बाद कार्यक्रम में जमकर लोक नृत्य किए गये। जहां महिलाओं और पुरूषों की टोली ने जमकर तांदी व रासों नृत्य ढोल दमौ की थाप व रणसिंघा की गर्जना के साथ किया। वहीं मौेजूद अन्य लोगों ने होल्डे जलाये व जमकर होल्डे खेले।
ये है मान्यता :
Celebration Of Bagwal Festival : गढ़वाल के जौनपुर रंवाई में बग्वाल दीपावली के एक माह बाद आयोजित की जाती है। मान्यता है कि भगवान राम के विजयी होने के बाद जब वह वापस अयोध्या लौटे तो यहां एक माह बाद पता चला। जिससे यहां एक महीने बाद बग्वाल के रूप में हर्षोल्लास के साथ खुशियां मनाई जाती हैं।
Celebration Of Bagwal Festival :
सांस्कृतिक विरासत का पर्व :
Celebration Of Bagwal Festival : इस मौके पर स्थानीय निवासीयों का कहना है कि बग्वाल पर्व हमारी सांस्कृतिक विरासत का पर्व है। जिसे धूमधाम से मनाया जाना चाहिए ताकि युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से रूबरू होने का अवसर मिल सके साथ ही स्थानीय महिलाओं ने कहा कि यह पर्व सांस्कृतिक विरासत का पर्व है। जिसे पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है साथ ही इस क्षेत्र से जुड़ी हर संस्कृति व मेलों को मनाया जाना चाहिए।
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