Strange History Of Didihat Seat : उत्तराखंड राज्य में जल्द ही चुनाव होने वाले हैं ऐसे में राज्य की डीडीहाट सीट का गुणा-गणित यदी देखें तो बेहद ही दिलचस्प रहा है इस सीट ने राज्य गठन से पहले से लेकर राज्य गठन के बाद तक केवल एक ही प्रत्याशी को अपनी बादशाहत सौंपी है।
इस बार भी भाजपा ने बिशन सिंह चुफाल पर ही लगाया दाव :
Strange History Of Didihat Seat : उत्तराखंड विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है और सभी पार्टियों ने अपने प्रतयाशियों को रणभूमि में उतार दिया है ऐसे में यदी पिथौरागढ़ जिले की डीडीहाट सीट के इतिहास पर नज़र डालें तो भाजपा ने हमेशा ही इस सीट पर अपनी बादशाहत को कामयाब रखा है और खास बात ये है कि इस सीट पर राज्य गठन के पहले से लेकर अभी तक बिशन सिंह चुफाल ने ही जीत हांसिल की है और इस बार भी भाजपा ने इस सीट पर बिशन सिंह चुफाल को ही मैदान में उतारा है।
राज्य गठन के पहले से चुफाल की बादशाहत कायम :
Strange History Of Didihat Seat : उत्तराखंड के इतिहास पर यदी नज़र डालें तो इस सीट पर 1996 से लगातार बिशन सिंंह चुफाल जीतते आए हैं। राज्य गठन के बाद पहली बार 2002 में विधानसभा चुनाव का आयोजन किया गया था और तबसे लेकर 2017 तक बीजेपी ने बिशन सिंह चुफाल को ही इस सीट पर प्रत्याशी बनाकर रण में उतारा है और हर बार बिशन सिंह चुफाल भाजपा की उम्मीदों पर खरे उतरते आए है। यदी जीत के आंकड़ों पर नज़र डालें तो———
Strange History Of Didihat Seat :
—— 2002 में उत्तराखंड क्रांति दल के घनश्याम जोशी को लगभग 4500 वोटों से हराया
—— 2007 में कांग्रेस के हेम पंत को 2294 मतों से हराकर जीते बिशन सिंह चुफाल
—— 2012 में कांग्रेस प्रत्याशी रेवती जोशी को 10617 मतों के भारी अंतर से हराया
—— 2017 में निर्दलीय उम्मीदवार किशन सिंह भंडारी को 2368 मतों से दी शिकस्त
इस बार कांग्रेस ने खेला प्रदीप सिंह पाल पर दाव :
Strange History Of Didihat Seat : विधानसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने बिशन सिंह चुफाल को मैदान में उतारा है और कांग्रेस ने इस बार प्रदीप सिंह पाल पर दाव खेलकर मुकाबले को कड़ा बना दिया है। ऐसे में देखने वाली बात ये होगी की क्या भाजपा की विरासत रही डीडीहाट सीट पर बिशन सिंह चुफाल अपने दबदबे को कामयाब रखने में कामयाब होंगे या फिर इस बार ये सीट रंग बदलती दिखाई देगी।
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